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सर्ज प्राइसिंग के चक्कर में वसूल रहा था अनाप-शनाप किराया, कोर्ट ने आइना दिखा दिया

Authored by: शिशिर चौरसिया|नवभारतटाइम्स.कॉम

ऐप-बेस्ड राइड एग्रीगेटर्स के खिलाफ शिकायतें बढ़ती ही जा रही हैं। ये कभी सर्ज चार्ज, कभी एल्गोरिथम प्राइसिंग और कभी कुछ और वजहों से ग्राहकों से अनाप-शनाप किराया वसूलती है। कई बार कंपनियां ज्यादा पैसे लेती हैं और ग्राहकों को परेशानी होती है। एक आदमी ने कंपनी के खिलाफ शिकायत की और अदालत ने कंपनी को गलत पाया।

Commuter wins legal battle over ‘unfair’ bike taxi fare practices in Hyderabad
बाइक टैक्सी कंपनी को दिखाया कोर्ट ने आइना, मुआवजा और जुर्माना अलग से भरना होगा

हैदराबाद: आप महानगर या बड़े शहरों में रहते हैं और बाइक टैक्सी (Bike Taxi) का इस्तेमाल करते हैं तो इस घटना से आप भी दो-चार हुए होंगे। आपसे कभी बेस फेयर के नाम पर तो कभी सर्ज प्राइसिंग के नाम पर अनाप-शनाप किराया वसूला जाता होगा। हैदराबाद के एक 27 साल के आदमी ने ऐसा ही कुछ झेला था, लेकिन उसने कोर्ट का रूख किया और बाइक टैक्सी कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीत ली। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन-III (Consumer Forum) ने कंपनी को गलत तरीके से व्यापार करने का दोषी पाया। कंपनी एक ही दूरी के लिए अलग-अलग किराया ले रही थी।

कौन है मुकदमा जीतने वाला

उपभोक्ता फोरम में यह मामला के. राजेश ने दायर किया था। वह शहर में आने-जाने के लिए अक्सर बाइक टैक्सी का इस्तेमाल करते हैं। राजेश ने कंपनी के ऐप में एक अजीब चीज देखी। बीते 20 जून को, उन्होंने नल्लाकुंटा से हिमायतनगर के लिए एक राइड बुक की। यह दूरी 2.14 किलोमीटर थी और उनसे 32 रुपये लिए गए। लेकिन, 4 जुलाई को, उन्होंने सिर्फ 300 मीटर की दूरी के लिए राइड बुक की और उनसे फिर से 32 रुपये लिए गए।

उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया

बाइक टैक्सी की इस तरह की किराया नीति के खिलाफ राजेश ने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन-III, जिसे आम भाषा में उपभोक्ता फोरम कहते हैं, में वाद दायर किया। राजेश ने अदालत में दोनों बिल जमा किए। उन्होंने कहा कि कंपनी का किराया लेने का तरीका सही नहीं है और यह ग्राहकों को गुमराह करता है। कंपनी ने कहा कि किराया बेस चार्ज और सर्ज प्राइसिंग के हिसाब से लगाया गया था। लेकिन, कमीशन ने पाया कि इतनी अलग-अलग दूरी के लिए एक ही कीमत लेना गलत है। कंपनी ने इसका कोई सही कारण भी नहीं बताया। इसलिए यह ग्राहकों को धोखा देने जैसा है।

क्या कहा कमीशन ने

कमीशन ने कहा कि कंपनी ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के सेक्शन 2(47) के तहत ‘अनुचित व्यापार प्रथा’ की है। कमीशन ने अपने फैसले में कहा, “‘एक ग्राहक उचित कीमत की उम्मीद करता है। बिना किसी उचित कारण के इतनी अलग दूरी के लिए एक ही राशि वसूलना धोखा है।” इसका मतलब है कि ग्राहक सही कीमत की उम्मीद करते हैं। अगर कंपनी बिना किसी वजह के अलग-अलग दूरी के लिए एक ही पैसा लेती है, तो यह गलत है।

7,000 रुपये देने होंगे

उपभोक्ता फोरम ने कंपनी को शिकायतकर्ता को मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही, मुकदमे के खर्च के लिए 2,000 रुपये देने को भी कहा। अदालत ने कंपनी को अपने किराया तय करने के तरीके पर फिर से विचार करने और ग्राहकों को गुमराह करने से बचने के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करने की सलाह दी। अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है, तो ग्राहकों को छिपे हुए खर्चों का सामना करना पड़ेगा।

शिशिर चौरसिया

लेखक के बारे मेंशिशिर चौरसियाशिशिर कुमार चौरसिया इस समय NBT.in के साथ बिजनेस एडिटर के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें वित्तीय पत्रकारिता में 26 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले, उन्होंने अमर उजाला, दैनिक भास्कर, यूनीवार्ता और राजस्थान पत्रिका के लिए केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों को कवर किया। वह दिव्य हिमाचल, धर्मशाला और पंचकुला (हरियाणा) में भी काम कर चुके हैं।… और पढ़ें

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